जिसे अनसीखा करना कहा जा सकता है। जो भी समाज ने मुझे स्कूल,कॉलेज या यूनीवर्सिटी
के माध्यम से जबरदस्ती सिखाया है, उसे अनसीखा करना ही मेरा कार्य है, कैसे इस
कूड़े-कर्कट, इस कबाड़, इस हर तरह की गंदगी से स्वयं को साफ कर सकूं।
मैं कोई पंडित नहीं हूं। शायद मैं विश्वभर में सर्वाधिक अनपढ
व्यक्ति हूं। आज की मानव जाती से समादर करवाना
मैं कतई पसंद नहीं करूंगा। इसके पास न
तो वह विवेक है न वह हृदय
न वह आत्मा ।"
ओशो
क्या कहे ओशो के बारे में ओशो लिखते ही इतना कमाल का है ....
बहुत अच्छी प्रस्तुति ..
बढ़िया विचार है ...
हमेशा की तरह प्रभावशाली आभार आपका इन प्रवचनों से हमें ज्ञान देने के लिए ..
अद्भुत ... बहुत अच्छा कार्य कर रहे है आप
:)(:
ये बात सबसे जायदा भाती है
की ओशो अपने आप को नही पुजवाते
वो सही राह दिखाते है उस परमात्मा
की तरह चलने और कर्म प्रधान बनाने
को प्रेरित करते है
सुन्दर बात कही है ....
बहुत ही अच्छा विचार
बहुत खूब्।
बहुत ही कमाल के होते है ओशो के शब्द .....
jabardast likha hai ... satya vachan
aman jeet singh,,
क्या खूब लिखा है आपने ...
मेरे ब्लॉग पर भी आये
http://bigboss-s4.blogspot.com/
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# ‘बिग बॉस’ यानी ‘मनोरंजन से मौत’
# घर में रसोई को लेकर श्वेता और डॉली के बीच जंग
अच्छा ब्लॉग है ..
बहुत बढ़िया ...
ज्ञानवर्धक जानकारी से लबालब भरा है आपका ब्लॉग ..
अति सुंदर शब्द ...
छोटे छोटे लेखो के माध्यम से जो ज्ञान आप बाँट रहे है .... आभार उसके लिए
क्या बात है .... गजब लिखते है ओशो
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है। आप इसी तरह अपना ज्ञान लोगों में बांटते चलिए
"मैं पंडितों के किसी वर्ग से संबंधित नहीं हूं। मेरा संपूर्ण जीवन एक ही मौलिक सत्य पर आधारित है,
जिसे अनसीखा करना कहा जा सकता है। जो भी समाज ने मुझे स्कूल,कॉलेज या यूनीवर्सिटी
के माध्यम से जबरदस्ती सिखाया है, उसे अनसीखा करना ही मेरा कार्य है, कैसे इस
कूड़े-कर्कट, इस कबाड़, इस हर तरह की गंदगी से स्वयं को साफ कर सकूं।
मैं कोई पंडित नहीं हूं। शायद मैं विश्वभर में सर्वाधिक अनपढ
व्यक्ति हूं। आज की मानव जाती से समादर करवाना
मैं कतई पसंद नहीं करूंगा। इसके पास न
तो वह विवेक है न वह हृदय
न वह आत्मा ।"
ओशो
achha likha hai
आप का काम निश्चित ही सराहनीय है,
ओशो मेरे लिए भी सम्माननिय है,
वास्तव में देखा जाये तो पर ओशो के नाम से ही उनके प्रवचनों (discourses ) कों फिर से लिखना कापीराईट एक्ट का उलंघन हो सकता है. आप हो सकते है की ओशो से दीक्षित स्वामी या माँ हो. और दुसरो कों जाग्रत करना आपने जीवन का कर्त्तव्य हो. इसलिए मेरा आपसे एक मात्र ही निवेदन है. आप अपने प्रोफाइल में से ओशो का नाम हटा कर अपना वास्तविक नाम डाले .
अपनी प्रतिक्रिया से मुझे अवगत जरुर करे.
धन्यवाद
सच में बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हैं ये..
वाह..ओशो का ये कथन पहली बार पढ़ा..
आभार आपका..
आभार आप सभी पाठको का ... ब्लॉग पर आते रहे ...मुस्कुराते रहे ...
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म्यूनिसिपैलिटी में काम करता हूं... रास्ता साफ़ !!.
aman jeet singh benaami se sahmat hain ham bhi...
:)
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विचारणीय पोस्ट
सुन्दर वचनामृ्त !!!
सच में बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हैं ये..
सहमत
मिसफ़िट:सीधी बात