" मेरा पूरा प्रयास एक नयी शुरुआत करने का है। इस से विश्व- भर में मेरी आलोचना निश्चित है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता "

"ओशो ने अपने देश व पूरे विश्व को वह अंतर्दॄष्टि दी है जिस पर सबको गर्व होना चाहिए।"....... भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री चंद्रशेखर

"ओशो जैसे जागृत पुरुष समय से पहले आ जाते हैं। यह शुभ है कि युवा वर्ग में उनका साहित्य अधिक लोकप्रिय हो रहा है।" ...... के.आर. नारायणन, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति,

"ओशो एक जागृत पुरुष हैं जो विकासशील चेतना के मुश्किल दौर में उबरने के लिये मानवता कि हर संभव सहायता कर रहे हैं।"...... दलाई लामा

"वे इस सदी के अत्यंत अनूठे और प्रबुद्ध आध्यात्मिकतावादी पुरुष हैं। उनकी व्याख्याएं बौद्ध-धर्म के सत्य का सार-सूत्र हैं।" ....... काज़ूयोशी कीनो, जापान में बौद्ध धर्म के आचार्य

"आज से कुछ ही वर्षों के भीतर ओशो का संदेश विश्वभर में सुनाई देगा। वे भारत में जन्में सर्वाधिक मौलिक विचारक हैं" ..... खुशवंत सिंह, लेखक और इतिहासकार

Archive for अप्रैल 2010

मेष (मार्च 21 – अप्रैल 20)

जीवन में दुख आते हैं। यदि सीखने की क्षमता हो तो दुख बहुत कुछ सिखा देते हैं। यह कि क्या गलतियां कीं और यह भी कि कैसे गलतियों से बचा जाए। यदि इस समय आप इस बात को गहरे दिल में बैठा कर वर्तमान में हो रहे घटना क्रम को देखेंगे तो निश्चित मानिये कि आने वाले दिन बहुत ही शुभ और सुखों से भरे होंगे। ऐसा नहीं होने पर जीवन पुनरावृत्ति करता रहेगा और ऐसे में कोई ज्योतिषी या कुछ और सुख या शांति नहीं ला सकता। यह बात ग्रहों या जन्मकुंडलियों की उतनी नहीं है जितनी कि समझ और जाग कर जीने की। समय है जब ओशो की देशना को व्यावहारिक रूप से जीवन में उतारें और ऐसा होता है तो सुख और प्रसन्नता ज्यादा दूर नहीं हैं

वृषभ (अप्रैल 21 –मई 21)

भले होना और भोला होना शुभ है। और अपनी गुणवत्ताओं को खयाल में रख कर हर किसी से यह उम्मीद करना कि वे वैसा ही व्यवहार करें जैसे कि आप हैं तो कई बार ऐसा संभव नहीं होता है क्योंकि हरेक का अपना जीवन और अपनी समझ है। न तो आप उनकी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए हैं न ही वे आपकी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए। आंख खोल कर इस तथ्य को देखें कि सिर्फ अपने भोले होने की दुहाई देकर दूसरों का भावनात्मक शोषण नहीं किया जा सकता है। समय है जब आप अपनी भूलों को ठीक से देखें और उन्हें अपने मन के अर्थ न दें। अधिक व्यावहारिक होना आपको जीवन में एक नई ही दिशा दे सकता है। यह माह आपके लिए ऐसा ही अवसर लेकर आया है। और यह जीवन का बहुत बड़ा सौभाग्य सिद्ध हो सकता है

मिथुन (मई 22 – जून 21)

जीवन में समस्याएं आती रहती हैं। हर समस्या के लिए इधर-उधर हल ढूंढने से न तो आज तक हल मिला न ही समस्याओं में कमी आई। ओशो कई बार स्मरण दिलाते हैं कि समस्याओं के निदान कोई और नहीं दे सकता है। हमें अपने भीतर ही ढूंढ़ने होंगे। और आप ऐसा कर सकते हैं लेकिन सम्यक प्रयास इस दिशा में कभी किया ही नहीं। ओशो की देशना और उनके बताए ध्यान प्रयोग भीतर ले जाने के लिए बहुत ही कारगर उपाय हैं। इतने सरल, सहज और उपलब्ध निदान के होते यदि आप अब भी बाहर ही देखते हैं और परेशान रहते हैं तो यह आपका चुनाव है। थोड़ा सा जागें, थोड़ा सा सही दिशा में प्रयास करें और आप देखेंगे कि जिसे बाहर ढूंढने में इतना समय दिया वह काम चुटकियों में हो जाता है

कर्क (जून 22 – जुलाई 22)

ऐसे अवसर आते हैं जब सुखों और शुभ समाचारों की एक लड़ी सी लग जाती है। जो भी इस समय आपके साथ हो रहा है उसके कारण आप स्वयं को अति सौभाग्यशाली मान रहे हैं । और ऐसा मानना भी चाहिए। अस्तित्व ने इतने उपहारों से आपको एक तरह से लाद दिया है। अनुग्रह का आना और अहोभाव से भरना अभी बहुत ही आसान है। और ये ऐसी बातें हैं जो जीवन को हमेशा ही उच्च से उच्चतर दिशा में ले जाती हैं। यदि अभी आप इसको गहरे से गहरा उतार पाते हैं तो आने वाले दिनों में यह भाव आपके जीवन को अधिक स्वस्थ और आनंददायी रखेंगे। इससे पहले कि चार दिन की चांदनी मिट जाए और अंधेरी रात की शुरुआत हो, दीया जला लेना विवेकपूर्ण होगा। और दीया है अहोभाव, अनुग्रह, कृतज्ञता। ओशो के साथ तो यह और अधिक आसान है

सिंह (जुलाई23-अगस्त 23)

जब से आपके जीवन से कोई विशेष व्यक्ति गया है, आप बेचैन व दुखी रहते हैं। बुनियादी भूल यह हो गई कि आप यह मानकर चल रहे थे कि जीवन में जो कुछ भी हो रहा था वह उस व्यक्ति की वजह से हो रहा था। ऐसा सत्य नहीं है। यह आप और आपका प्रेम है जिसने इतना आनंद दिया था। दूसरे की सन्निधि में स्वयं को न भूलें। स्मरण करें कि यह आप ही हैं जो प्रसन्न थे और आप आज भी प्रसन्न हो सकते हैं। बाह्य बातें आपकी प्रसन्नता को न तो ला सकती है न ही ले जा सकती है। निश्चित ही अभी आप कुछ अपने दिन की शुरुआत ओशो सक्रिय ध्यान से करें। यह आपको पूरी तरह से झकझोर देगा और नई ऊर्जा से भर देगा। और आप एक दिन सहज ही हंस पड़ेंगे कि आनंद तो आपका अपना ही है न तो कोई ले जा सकता है न ही कोई दे सकता है

कन्या (अगस्त 24 - सितंबर 23)

जीवन के प्रवाह में अटक जाना बुनियादी भूल है। ओशो कई बार कहते हैं कि जीवन एक प्रवाह है। इसे रोक कर डबरा न बनाओ। और जैसे ही हम डबरे बनने लगते हैं, दुर्गंध का आना तय है। और फिर हम दुखी होते हैं कि दुर्गध क्यों हो रही है। जितना आप प्रवाहित रहेंगे और जीवन में हो रहे बदलावों के साथ सहज ही बहते चले जाएंगे उतनी ही प्रसन्नता और आनंद आता जाएगा। कृपया अपनी पकड़ को थोड़ा ढीला छोड़ें। ओशो प्रवचन इस दिशा में तरल करने के लिए बहुत सहायक होते हैं। एक प्रवचन हर सुबह हृदयंगम करें और फिर अपने दैनंदिनी में जुट जाएं। यह माह आपको इतना बड़ा पाठ दे सकता है कि आप स्वयं पर तो मुस्कराएंगे ही, आप अपने आसपास आने वाले लोगों को भी मुस्कुराने का अवसर देंगे

तुला (सितंबर 24 - अक्टूबर 23)

यह तय है कि आप बहुत कुछ कर सकते हैं और करते रहे हैं। जीवन की हर दिशा में सफलता और सृजन आपके लिए बहुत ही आसान रहा है। ऐसे अधिक महत्वाकांक्षी होना स्वाभाविक होता है लेकिन यही बात आपके सृजन के लिए अवरोध बन जाती है। जितना इस बात को अपने दिल में गहरे से उतार सकें उतना ही बेहतर। पहले ही आपका जीवन कुछ कदम उस दिशा में चला गया है जहां प्रसन्नता की जगह तनाव आ रहा है। और इसके पहले कि यह तनाव आपके लिए बहुत भारी हो जाए, एक भरपूर हंसी हंस कर महत्वाकांक्षा को एक तरफ कर दें। जो है उसका आनंद लें। अपने सृजन को प्राथमिकता दें और यदि ऐसा कर पाते हैं तो महत्वाकांक्षा ने जितना अहित किया है उतना हित संभव हो सकता है। जो आप पाना चाहते हैं वह आपके पास है ही

वृश्चिक (अक्टूबर 24 - नवंबर 22)

जो हुआ, हुआ; उसे अब जाने दो। उसे पकड़े रख कर दुखी रहना निरी मूर्खता होगी। और यह इसलिए भी कि आने वाले दिन खुशियों और सुखों के बहुत सारे तोहफे लेकर आ रहे हैं। यदि पुराने को पकड़ कर रोते ही रहे तो इन उपहारों से भी चूक जाएंगे; और तब अभाव की एक श़ृंखला बन सकती है जो भारी से भारी होती चली जाएगी। समय है आप जागें और वर्तमान के लिए उपलब्ध हो जाएं। ऐसा करने पर बीते दुख तो बीती बात हो ही जाएगी, आने वाले सुख आपको अधिक स्वस्थ और मजबूत करेंगे। और यही बात इस माह आपको ठीक से सीखनी है और इस समझ के लिए अपनी आंखें खोलनी हैं। खुली आंखों से जब जीवन इतना सुख देने वाला है तो आंखें बंद करके दुखों से चिपके रहना शुभ नहीं है

धनु (नवंबर 23 - दिसंबर 23)

संवेदनशीलता और समझ में आपका कोई मुकाबला नहीं है। और इन्हीं गुणों की वजह से आप कई बार ऐसी परिस्थितियों में स्वयं को पाते हैं जब यह पता नहीं चलता कि बात गलत हो कहां जाती है। कैसे कोई दूसरा व्यक्ति आपको आहत कर देता है और आप ठगे से रह जाते हैं। संवेदनशील होने के साथ सुलझी समझ का होना जरूरी है क्योंकि आपके आसपास लोग इतने संवदेनशील नहीं हैं। उनके अपने गुण और अवगुण हैं जहां से जब वे जीवन को देखते हैं तो वे भी वैसे ही स्वयं को ठगा हुआ पाते हैं जैसे कि आप। और यह समझ आपको तो सहज करेगी ही, आपको यह भी समझ देगी कि दूसरों के गुणों का सम्मान कैसे किया जाए। और यह बदलाव इतना बड़ा हो सकता है कि आप स्वयं भी आनंदित होंगे और दूसरे भी आनंद से भर जाएंगे। तब कोई भी ठगा हुआ महसूस नहीं करेगा

मकर (दिसंबर 24 - जनवरी 20)

दर्द और गम में होना कोई आश्चर्य नहीं है जब जीवन बहुत अधिक बेहोशी से जीया जाए। आपकी बेहोशी ही आपके लिए हर कदम दुख ले आती है। आप यह देख कर हमेशा ही आश्चर्यचकित होते हैं कि दूसरे कैसे मुस्कुरा रहे हैं , आनंदित हो रहे हैं। जरा अपनी आंखों को खोलें अपनी बेहोश प्रवृत्तियों के प्रति जागें। जो आदतें पड़ गईं जिनकी वजह से बार-बार आपको दुख देखना पड़ता है उसके प्रति होश से भरें। होश और जागरण ही आपके जीवन में शुभ के लिए निदान हैं। ओशो की देशना इसी बात पर पूरी मानवता को अग्रसर करती है। आप सौभाग्यशाली हैं कि ओशो दर्शन से परिचित हैं। अब थोड़ा ध्यान करें। कम से कम तीन माह पूरे मन से ओशो सक्रिय ध्यान करें। ओशो हमेशा ही कहते हैं कि ध्यान में पूरा जोर लगा दें। इस बात को आप स्वर्ण सूत्र की तरह दिल में रखें और अपनी सारी ऊर्जा ध्यान में डाल दें। ऐसा होता है तो दर्द और गम तो परायी बात होगी ही, दूसरे लोग आपको देख कर आश्चर्य से भरेंगे कि आप सदा आनंद से कैसे भरे रहते हैं

कुंभ (जनवरी 21 - फरवरी 19)

सफलता और असफलता दोनों ही जीवन में कदम मिला कर चलते हैं। यदि यहां रात है तो दिन भी है। समग्र स्वीकारभाव इन सब से ऊपर उठा देता है। जितना आप सफलता का आनंद लेते हैं उतना ही असफलता पर भी आनंदित हों। उसे भी अस्तित्व से आया एक उपहार मान कर स्वीकारें। और यही स्वीकार भाव आपको यह दृष्टि देगा कि न तो सफलता सफलता होती है न ही असफलता असफलता। यह तो बस मन के मानने की बातें हैं। और तब रात हो या दिन, आप अपने भीतर हमेशा प्रकाश से भरे रहेंगे। ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वर्तमान में असफलता ने आपको बहुत आहत किया हुआ है। स्वयं को आहत कर अपने आपको अधिक सजा न दें। स्वीकार भाव से भर जाएं और असफलता का भी उत्सव मनाएं। ओशो तो हमें हर बात का उत्सव मनाना सिखाते हैं न! तो फिर देर किस बात की

मीन (फरवरी 20 - मार्च 20)

हो सकता है कि थोड़े समय के लिए आपको ऐसा लगे कि जीवन जैसा चल रहा है वो आपको समझ ही नहीं आ रहा है । आप बहुत ही बेबूझ से भरे जीवन को लेकर उलझ गए हैं। ओशो कहते हैं कि जीवन कोई समस्या नहीं है जिसे सुलझाना है , कोई उलझन नहीं कि उसका हल ढूंढ़ लें। जीवन बस रहस्य है जिसका आनंद लेना है। आपके जीवन में सहज ही यह रहस्य सारी दिशाओं से आ रहा है। अब इसे पहेली बना कर सुलझाने का प्रयास न करें। यदि ऐसा करते हैं तो आप और भी अधिक उलझ जाएंगे तब इस उलझन की एक अंतहीन सी श़ृंखला चल जाएगी। इस समय ओशो को सुनना आपको बहुत ही आनंदित करेगा क्योंकि ओशो इस रहस्य का भरपूर आनंद लेना सिखाते हैं। सच मानिए, समय तो आपके जीवन का ऐसा है कि जितना उत्सव मनाएं उतना ही कम

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