ओशो
प्रकाशक :
ओशो रजनीश
| सोमवार, अक्टूबर 18, 2010 |
12
टिप्पणियाँ
"मैं तुम्हें अपनी विचारधारा से सहमत करवाने में उत्सुक नहीं हूं - मेरी कोई विचारधारा है भी नहीं। दूसरी बात, मेरा मानना है कि किसी को परिवरतित करने का प्रयत्न ही हिंसा है, यह उसकी निजता में, उसके अनूठेपन में, उसकी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना है।"
ओशो
ओशो
शब्द सूचक :
osho bhaayi aapne khne ko to shi khaa he lekin aapki vichardhara hi kuch itni achchi he ke mujh shit kai logon ka mn usmen bh jane ko krta he. akhtar khan akela kota rajsthan
बढ़िया बात कही है ओशो ने ..
बहुत सुंदर विचार प्रस्तुत किया है आपने ओशो का
यह भी देखे
http://malaysiaandindia.blogspot.com/2010/10/blog-post_18.html
आपने अपने ब्लॉग का टेम्पलेट बहुत सुन्दर लगाया है कृपया ऐसा ही कोई सुन्दर टेम्पलेट हमें भी उपलब्ध करवाए ....
मै इस बात से सहमत नही
विचारधारा जानवरों की नही होती
इंसान है तो विचारवान होगा ही
स्वतंत्रता हद में होती है हद के बाहर नही
अच्छी प्रस्तुति ...
यह भी देखे
http://sawan-m.blogspot.com/2010/10/blog-post_18.html
सही कहा गया है. सुंदर भाव.
bahut sundar
@"मैं तुम्हें अपनी विचारधारा से सहमत करवाने में उत्सुक नहीं हूं
अच्छी और सही बात है ये |
ye baat bahut acchi hai... saadar