ओशो
प्रकाशक :
ओशो रजनीश
| शनिवार, अक्टूबर 16, 2010 |
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टिप्पणियाँ
"मैं यहां किसी की भविष्यवाणी को सत्य सिद्ध करने के लिये नहीं हूं। और ऐसा मैं क्यों करूं?...मैं यहां केवल अपने लिये हूं। मैं कोई मसीहा नहीं और न ही मैं यहां किसी को पाप-मुक्त करने के लिये हूं। मुझे यहां कोई धर्मयुग नहीं लाना है। ये सभी बातें घिसी-पिटी व मूढ़्तापूर्ण हैं।"
ओशो
ओशो
शब्द सूचक :
मुझे ये बात सबसे जायदा भाती है
की ओशो अपने आप को नही पुजवाते
वो सही राह दिखाते है उस परमात्मा की तरह चलने और कर्म प्रधान बनाने को प्रेरित करते है
वरना भारत में लोग कथा सुनाते सुनाते लोग भगवान हो जाते है
यहाँ के बड़े सनत अपने जीते ही अपनी फोटो की पूजा करवाते है
मेरा ब्लॉग भी पद्यी और मेरा मार्गदेर्सन करिए
http://blondmedia.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.html
बहुत ही बढ़िया कहा है ...
मेरे ब्लॉग पर भी आये :
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.html
सुन्दर बात कही है .... आज कल से संतो तो जूते मरने का मन करता है
बढ़िया वचन
क्या बात है ..
सुन्दर विचार ..
मेरे ब्लॉग पर भी पधारे ..
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http://bigboss-s4.blogspot.com/
हमेशा की तरह , ज्ञानवर्धक
आभार आप का हमें इस तरह का ज्ञान देने के लिए
विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
RIGHT THING...TRINATHM.BLOGSPOT.COM