मैं एक तरह की नई धार्मिकता की शुरुआत हूं जिसका कोई विशेषण
नहीं, कोई सीमा नहीं; जिसके साथ जुड़ी है केवल आत्मा की स्वतंत्रता,
तुम्हारा आंतरिक मौन, तुम्हारी अंत:शक्ति का विकास और अंतत:
तुम्हारे भीतर भगवत्ता का अनुभव - तुम्हारे बाहर के भगवान का नहीं
बल्कि तुमसे बहती हुई भगवत्ता।"
ओशो
nice .. very nice
बहुत बहुत शुक्रिया पाठको का जो मेरे इस छोटे से प्रयास को सराहा आप लोगो ने ... आभार