अब तिब्बत में एक किताब है: तिब्बतन बुक ऑफ दि डैड। तो अब तिब्बत का जो भी चोथा शरीर को उपलब्ध आदमी था। उसने सारी मेहनत इस बात पर की कि मरने के बाद हम किसी को क्या सहायता दे सकते हे। आप मर गये हे, मैं आपको प्रेम करता हूं, लेकिन मरने के बाद मैं आपको कोई सहायता नहीं पहुंचा सकता हूं। लेकिन तिब्बत में पूरी व्यवस्था है सात सप्ताह की….कि मरने के बाद सात सप्ताह तक उस आदमी को कैसे सहायता पहुंचायी जाये; और उसके कैसे गाइड (मार्गदर्शन) किया जाये; और उसको कैसे विशेष जन्म के लिए उत्प्रेरित किया जाये; और उसे कैसे विशेष गर्भ में प्रवेश में सहयोग किया जाये और किसी विशेष गर्भ में उसे पहुंचाया जाए।
अभी विज्ञान को वक्त लगेगा। कि वह इन सब बातों का पता लगाये; लेकिन यह लग जायेगा पता, उसमें अड़चन नहीं है। और फिर इसकी वैलिडिटी(प्रामाणिकता की जांच) के भी सब उन्होंने उपाय खोजें थे कि इसकी जांच कैसे हो।
प्रधान लामा के चुनाव की विधि—
तिब्बत में लामा जो है, पिछला लामा जो मरता है, वह बताकर जाता है कि अगला मैं किस घर में जन्म लुंगा। और तुम मुझे कैसे पहचान सकोगे। उसके सिंबल स (प्रतीक) दे जाता है। फिर उसकी खोज होती है। पूरे मुल्क में कि वह बच्चा अब कहां है। वह राज़ सिवाय उस आदमी के कोई बता नहीं सकता,जो बता गया था। तो यह जो लामा है। ऐसे ही खोजा गया। पिछला लामा कहकर गया था। इस बच्चे की खोज बहुत दिन करनी पड़ी। लेकिन आखिर वह बच्चा मिल गया। क्योंकि एक खास सूत्र था। जो कि हर गांव में जाकर चिल्लाया जायेगा। और जो बच्चा उसका अर्थ बता दे, वह समझ लिया जायेगा। कि वह पुराने लामा की आत्मा उसमें प्रवेश कर गयी; क्योंकि उसका अर्थ तो और किसी को पता ही नहीं था। वह ता बहुत सीक्रेट (गुप्त) मामला है।
तो चौथे शरीर के आदमी की पूरी क्यूरियोसिटि (जिज्ञासा) अगल थी। और अनंत है यह जगत। और अनंत है उसके राज, और अनंत है इसके रहस्य। अब ये जो लामा है इन्होंने पाँच में से चार प्रश्न के उत्तर ठीक दीये है। अब चार के उत्तर कोई इत्तफाक थोड़ ही हो सकता है। पांचवें का उत्तर वे सही न दे सके। पर पाँच उत्तर सही देने वाला पूरे तिब्बत में कहीं नहीं मिला। अब तो वहां सब चीन, और यूरोप के लोगों ने जा कर खत्म कर दिया। वरना तो तिब्बत का आदमी तिब्बत से बहार जन्म ले ही नहीं सकता था। हम ऐसा नहीं कर सकते। क्योंकि चेतना की गति तो प्रकाश की गति से भी तेज है। वह तो पल में कहां से कहा चली जाती है।
अभी जितनी साइंस को हमने जन्म दिया है। भविष्य में यही साइंस रहेगी, यह मत सोची ये, और नयी हजार साइंस पैदा हो जायेगी। क्योंकि और हजार आयाम है जानने के। और जब वह नहीं साइंसेस पैदा होंगी। तब वे कहेगी कि पुराने लोग वैज्ञानिक न रहे, वह यह क्यों नहीं बता पाये। नहीं हम कहेंगे; पुराने लोग भी वैज्ञानिक थे। उनकी जिज्ञासा ओर थी। जिज्ञासा का इतना फर्क है कि जिसका कोई हिसाब नहीं।
अच्छा लिखा है .....
nice artikle hai .... osho achha kehte the ...
very informative post. It was new to me. thanks.
मन को शांति प्रदान करने वाला ब्लॉग।
रोचक विचारोतेजक लेख .... इस बात पर पूरी तरह अविश्वास करने का कारण नही नज़र आता ... शायद आने वेल समय में विज्ञान इस बात को खोज ले ...
ओशो के प्रवचनों पर क्या टिपण्णी दें...हम तो उन्हीं में डूबे रहते हैं...उन्हें पढना सुनना देखना एक ऐसा अनुभव है जिस से गुजरने को हमेशा दिल करता है...पूना में मेरी एक बार भेंट भी हो चुकी है कोई एक घंटा उनके सानिध्य में बिताया...वो क्षण जीवन के दुर्लभ क्षण हैं...
नीरज
बहुत ही सुन्दर और रोचक लेख! आपके ब्लॉग पर जब भी आती हूँ बहुत सुकून मिलता है! अच्छी जानकारी प्राप्त हुई!
मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
namaskaar ,yahan aakar khushi hui ,is lekh ko padhte huye bahut kuchh jaana ,adbhut aur dilchsp bhi .
मेरे दोनों ब्लॉग पर आपका बहुमूल्य टिपण्णी और उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ओशो को पढने पर हर बार कुछ नया जानने को मिलता है , बहुत ही अच्छा महसूस होता है आपके इस ब्लॉग पर आकर............
आपने बिल्कुल ठीक कहा ये वाकई नई जानकारी थी मेरे लिए मुझे बेहद पसंद भी आई बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस जानकारी को हमारे साथ बाँटने के लिए
..वरना तो तिब्बत का आदमी तिब्बत से बहार जन्म ले ही नहीं सकता था।
..हा..हा..हा..
टंकण त्रुटी- बहार को बाहर कर लें.
मुझे इस प्रकार की चीज़ें सत्य नहीं लगती लेकिन फिर भी इस जानकारी के लिए बहुत-२ धन्यवाद ,अब कुछ-२ समझ में आ रहा है की किस धारणा के वशीभूत होकर दलाई लामा जी को इतना सम्मान दिया जाता है
Bahut hi achchi post.
मै आप से बिलकुल सहमत नही, बहुत से कारण है, ओर ऎसा कभी हो भी नही सकता.धन्यवाद
Nice,
Thanks.
तिब्बत का रहस्य तो मुझे काफी रहस्सयमय लगता है। दलाई लामा एक सच्ची आत्मा है ये सब मानते हैं। बचपन से मैं सोचता था कि आखिर धर्म के सच्चे सिपाही अपने चमत्कार का इस्तेमाल चीन के खिलाफ क्यों नहीं करते। फिर सनातन धर्म मुझे बताता कि चमत्कार करने की ऐसे महापुरुषों को आज्ञा नहीं हैं।
पर हाल में ही अपने एक ऑपरेश्न के बाद उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा कि वो भी देख लें कि उनके लामा भी एक सधारण इंसान हैं औऱ उन्हें भी वही बीमारी और तकलीफ होती है जो उन लोगो को होती है। जिससे ये पता चलता है कि वो भगवान नहीं हैं।
यहां एक सवाल होता है आखिर अगर इतना सच्चा पुरुष अपने भीतर से अपने को ठीक नहीं कर पाता तो बाकी कौन कर पाता होगा?
इस बार पूना आश्रम जाने का इरादा किया है...
शुरु से ही ओशो में बहुत रुचि रही परंतु कभी जुड़ नहीं पाये, हाँ ओशो को पढ़ा बहुत है।
क्षमा करे, जहां तक लामा के चुनाव का मामला है, मैं आपके तथ्यों से पूर्णतया सहमत नहीं हूँ ! उसकी वजह में एक उदाहरण से देना चाहूंगा ! आपने कहा कि जो बच्चा उस सूत्र को जानता है, यानी जिसमे उस पुराने लामा की आत्मा आती है वही उसका जबाब जानता है ! आपको याद होगा कि १९९५ में दलाली लामा ने गेदुन चोएक्यी न्यीमा को नव लामा घोषित किया था ! जिसे चीन की सरकार परिवार समेत उठा ले गई और आज तक पता नहीं है कि वह २१ बर्षीय लामा है कहाँ ? फिर उसकी जगह पर दलालीलामा ने ग्याल्तसेन नोरबू को ग्यारहवा पंचेन लामा घोषित किया! अब यह कैसे संभव कि एक लामा की आत्मा दो-दो बच्चों में हो ?
आध्यात्म और भक्ति से इतर भी, पुनर्जन्म का कोंसेप्ट मुझे बड़ा ही भाता है.
सच अगर आप अपने वर्त्तमान को नहीं सुधार सकते तो भविष्य के बारे में ही कयास लगा सकते हो. और यही अपने चाहने वालों के साथ कर सकते हो.
उसको जीते जी खुस न रक् पाए हो तो पश्चाताप उसके अगल जनम लेने पे कर लो.
बढिया लिखा है.....
ये बात सत्य लगती है कि सृष्टि कि उत्पति तिब्बत से हुई .........
ओशो को पढ़कर मन को एक शांति का अनुभव होता है ......... अच्छा लेख
सचमुच दिल को शांति देने का काम करते है ओशो के वचन ,,,,,,,,
आप सभी पाठको के इस प्यार का बहुत बहुत शुक्रिया ..........
ओशो बाबा ये गोदियाल क्या कह रहा है ? उत्तर दो अगर है तो.......
@मुनीश जी, गोदियाल जी
यहाँ जो चुनाव प्रक्रिया दी गयी है वो प्रधान लामा के लिए दी गयी,
दलाई लामा के जीवित रहते किसी और के प्रधान लामा बन्ने के प्रश्न ही नहीं है !!!
आपने स्वयं कहा है की ग्याल्तसेन नोरबू को पंचेन लामा घोषित किया है, पंचेन लामा और प्रधान लामा में अंतर होता है,
कृपया अपने तथ्यों को ध्यानपूर्वक पढ़े
आशा करता हूँ कि आप अपना सहयोग इसी प्रकार बनाये रखेंगे, यदि आपको या किसी अन्य पाठक को कोई और प्रश्न करना हो तो आपका स्वागत है .
दलाई लामा के जीवित रहते किसी और के प्रधान लामा बन्ने का प्रश्न ही नहीं है !!
..सही कहा
great truth without evidence
आभार आप सभी पाठको का ....
सभी सुधि पाठको से निवेदन है कृपया २ सप्ताह से ज्यादा पुरानी पोस्ट पर टिप्पणिया न करे
और अगर करनी ही है तो उसकी एक copy नई पोस्ट पर भी कर दे
ताकि टिप्पणीकर्ता को धन्यवाद दिया जा सके
ओशो रजनीश
osho buddh hai koi aur nahi osho bahut badi hasti hai chamatkar hai wo osho is light,jay oshooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooye meri abaaz sabko sunye de is liye itni jorse bola mian oshooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooo
Sahi khaha bhut ullu banate h kuch ni h brain wash kar rhahe china sa jeeta to maane