" मेरा पूरा प्रयास एक नयी शुरुआत करने का है। इस से विश्व- भर में मेरी आलोचना निश्चित है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता "

"ओशो ने अपने देश व पूरे विश्व को वह अंतर्दॄष्टि दी है जिस पर सबको गर्व होना चाहिए।"....... भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री चंद्रशेखर

"ओशो जैसे जागृत पुरुष समय से पहले आ जाते हैं। यह शुभ है कि युवा वर्ग में उनका साहित्य अधिक लोकप्रिय हो रहा है।" ...... के.आर. नारायणन, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति,

"ओशो एक जागृत पुरुष हैं जो विकासशील चेतना के मुश्किल दौर में उबरने के लिये मानवता कि हर संभव सहायता कर रहे हैं।"...... दलाई लामा

"वे इस सदी के अत्यंत अनूठे और प्रबुद्ध आध्यात्मिकतावादी पुरुष हैं। उनकी व्याख्याएं बौद्ध-धर्म के सत्य का सार-सूत्र हैं।" ....... काज़ूयोशी कीनो, जापान में बौद्ध धर्म के आचार्य

"आज से कुछ ही वर्षों के भीतर ओशो का संदेश विश्वभर में सुनाई देगा। वे भारत में जन्में सर्वाधिक मौलिक विचारक हैं" ..... खुशवंत सिंह, लेखक और इतिहासकार

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Archive for दिसंबर 2010

31 द&# 2010

ब्लॉग जगत के सभी लोगो और सभी पाठको को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये हैप्पी न्यू इयर २०११आने वाला वर्ष सभी के जीवन में नयी खुशियाऔर सुख- शांति लेकर ...

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27 द&# 2010
21 द&# 2010

पत्रकार की तो और भी अड़चन है। पत्रकार तो जीता है गलत पर ही। पत्रकार का सत्‍य से कोई लेना-देना नहीं है। पत्रकार तो जीता असत्‍य पर है, क्‍योंकि असत्‍य लोगों को रुचिकर है। अख़बार में लोग सत्‍य को खोजने नहीं जाते। अफवाहें खोजते है। तुम्‍हें शायद पता हो या न हो कि स्‍वर्ग कोई अख़बार नहीं निकलता। कोई ऐसी घटना ही नहीं घटती स्‍वर्ग में जो अख़बार में छापी जा सकें। नरक में बहुत अख़बार निकलते है। क्‍योंकि नरक में तो घटनाएं घटती ही रहती है। एक बार एक पत्रकार मरा और स्‍वर्ग पहुंच गया। द्वार पर दस्‍तक दी। द्वारपाल ने द्वार खोला और पूछा कि क्‍या चाहते हो? उसने कहा, मैं पत्रकार हूं, और स्‍वर्ग में प्रवेश चाहता हूं। द्वारपाल हंसा और उसने कहा कि असंभव, तुम्‍हारे लिए ठीक जगह नरक में है, तुम्‍हारा...

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14 द&# 2010

"अब तक किसी ने यह नहीं कहा कि संबोधि के परे भी कुछ है।तभी मैं कहता हूं कि मैं मील का पत्थर हूं। मेरे साथ चेतनाके इतिहास में एक और अध्याय जुड़ गया है। संबोधिअब एक शुरुआत होगी...

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11 द&# 2010

सम्बुद्ध सद्गुरु ओशो के चरणों में श्रद्धा सुमन!!**************************************************************************************************************************************************************************ओशो का एक प्रवचन जो उन्होंने लगभग ३० वर्षो पहले दिया था। समय गुजर गया पर उनके कहेगए ये शब्द आज भी पूरी तरह से सत्य है । ****************************************************************************** आज की राजनीति पर कुछ भी कहने के पहले दो बातें समझ लेनी जरूरी हैं। एक तो यह कि आज जो दिखाई पड़ता है, वह आज का ही नहीं होता, हजारों-हजारों वर्ष बीते हुए कल, आज में सम्मिलित होते हैं। जो आज का है उसमें कल भी जुड़ा है, बीते सब कल जुड़े हैं। और आज की स्थिति को समझना हो तो कल की इस पूरी...

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