" मेरा पूरा प्रयास एक नयी शुरुआत करने का है। इस से विश्व- भर में मेरी आलोचना निश्चित है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता "

"ओशो ने अपने देश व पूरे विश्व को वह अंतर्दॄष्टि दी है जिस पर सबको गर्व होना चाहिए।"....... भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री चंद्रशेखर

"ओशो जैसे जागृत पुरुष समय से पहले आ जाते हैं। यह शुभ है कि युवा वर्ग में उनका साहित्य अधिक लोकप्रिय हो रहा है।" ...... के.आर. नारायणन, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति,

"ओशो एक जागृत पुरुष हैं जो विकासशील चेतना के मुश्किल दौर में उबरने के लिये मानवता कि हर संभव सहायता कर रहे हैं।"...... दलाई लामा

"वे इस सदी के अत्यंत अनूठे और प्रबुद्ध आध्यात्मिकतावादी पुरुष हैं। उनकी व्याख्याएं बौद्ध-धर्म के सत्य का सार-सूत्र हैं।" ....... काज़ूयोशी कीनो, जापान में बौद्ध धर्म के आचार्य

"आज से कुछ ही वर्षों के भीतर ओशो का संदेश विश्वभर में सुनाई देगा। वे भारत में जन्में सर्वाधिक मौलिक विचारक हैं" ..... खुशवंत सिंह, लेखक और इतिहासकार

प्रकाशक : ओशो रजनीश | शनिवार, सितंबर 11, 2010 | 34 टिप्पणियाँ

मुसलमानों का तीर्थ है— काबा। काबा में मुहम्‍मद के वक्‍त तक तीन सौ पैंसठ मूर्तियां थी। और हर दिन की एक अलग मूर्ति थी। वह तीन सौ पैंसठ मूर्तियां हटा दी गयी, फेंक दी गई। लेकिन जो केंद्रीय पत्‍थर था मूर्तियों का, जो मंदिर को केंद्र था, वह नहीं हटाया गया। तो काबा मुसलमानों से बहुत ज्‍यादा पुरानी जगह है। मुसलमानों की तो उम्र बहुत लंबी नहीं है…..चौदह सौ वर्ष।

लेकिन काबा लाखों वर्ष पुराना पत्‍थर है। और भी दूसरे एक मजे की बात है कि वह पत्‍थर जमीन का नहीं है। वह पत्‍थर जमीन का पत्‍थर नहीं है। अब तक तो वैज्ञानिक …. क्‍योंकि इसके सिवाय कोई उपाय नहीं था। वह जमीन का पत्‍थर नहीं है। यह तो तय है। एक ही उपाय था हमारे पास कि वह उल्‍कापात में गिरा हुआ पत्‍थर है। जो पत्‍थर जमीन पर गिरते है। थोड़े पत्‍थर नहीं गिरते। रोज दस हजार पत्‍थर जमीन पर गिरते है। चौबीस घंटे में। जो आपको रात तारे गिरते हुए दिखाई पड़ते है वह तारे नहीं होते वह उल्का है, पत्‍थर है जो जमीन पर गिरते है। लेकिन जोर से धर्षण खाकर हवा का, वे जल उठते है। अधिकतर तो बीच में ही राख हो जाते है। कोई-कोई जमीन तक पहुंच जाते है। कभी-कभी जमीन पर बहुत बड़े पत्‍थर पहुंच जाते है। उन पत्‍थरों की बनावट और निर्मिति सारी भिन्‍न होती है।

यह जो काबा का पत्‍थर है, यह जमीन का पत्‍थर नहीं है। तो सीधा व्‍याख्‍या तो यह है कि यह उल्‍का पात में गिरा होगा। लेकिन जो और गहरे जानते है। उनका मानना है, वह उल्‍कापात में गिरा पत्‍थर नहीं है। जैसे हम आज जाकर चाँद पर जमीन के चिन्‍ह छोड़ आए है—समझ लें कि एक लाख साल बाद यह पृथ्‍वी नष्‍ट हो चुकी हो, इसकी आबादी खो चुकी हो, कोई आश्चर्य नहीं है। कल अगर तीसरा महायुद्ध हो जाए तो यह पृथ्‍वी सूनी हो जाए, पर चाँद पर जो हम चिन्‍ह छोड़ आए है, हमारे अंतरिक्ष यात्री चाँद पर जो वस्तुएँ छोड़ आए है वे वहीं बनी रहेंगी, सुरक्षित रहेंगी। उन्‍हें बनाया भी इस ढंग से गया है कि लाखों वर्षो तक सुरक्षित रह सकें।

अगर कभी कोई चाँद पर कोई भी जीवन विकसित हुआ, या किसी और ग्रह से चाँद पर पहुंचा, और वह चीजें मिलेंगी, तो उनके लिए भी कठिनाई होगी कि वे कहां से आयी है? उनके लिए भी कठिनाई होगी। काबा का जो पत्‍थर है वह सिर्फ उल्‍कापात में गिरा हुआ पत्‍थर नहीं है। वह पत्‍थर पृथ्‍वी पर किन्‍हीं और ग्रहों के यात्रियों द्वारा छोड़ा गया पत्‍थर है। और उस पत्‍थर के माध्‍यम से उस ग्रह के यात्रियों से संबंध स्‍थापित किए जा सकते थे। लेकिन पीछे सिर्फ उसकी पूजा रह गयी। उसका पूरा विज्ञान खो गया, क्‍योंकि उससे संबंध के सब सूत्र खो गए।

वह अगर किसी ग्रह पर गिर जाए तो उस ग्रह के यात्री भी क्‍या करेंगें? अगर उनके पास इतनी वैज्ञानिक उपलब्‍धि हो कि उसके रेडियो को ठीक कर सकें, तो हमसे संबंध स्‍थापित हो सकता है। अन्‍यथा उसको तोड़-फोड़ करके वह उनके पास अगर कोई म्यूजियम होगा तो उसमें रख लेंगे और किसी तरह की व्‍याख्‍या करेंगे कि वह क्‍या है। और रेडियो तक उनका विकास न हुआ हो तो वह भयभीत हो सकते है उससे डर सकते है। अभिभूत हो सकते है, आश्चर्य चकित हो सकते है। पूजा कर सकते है।

काबा का पत्‍थर उन छोटे से उपकरणों में से एक है जो कभी दूसरे अंतरिक्ष के यात्रियों ने छोड़ा और जिनसे कभी संबंध स्थापित हो सकते थे। ये में उदाहरण के लिए कह रहा हूं आपको, क्‍योंकि तीर्थ हमारी ऐसी व्‍यवस्‍थाएं है। जिससे हम अंतरिक्ष के जीवन से संबंध स्‍थापित नहीं करते बल्‍कि इस पृथ्‍वी पर ही जो चेतनाएं विकसित होकर विदा हो गयीं, उनसे पुन:-पुन: संबंध स्‍थापित कर सकते है।

और इस संभावनाओं को बढ़ाने के लिए जैसे कि सम्‍मेत शिखर पर बहुत गहरा प्रयोग हुआ—बाईस तीर्थ करों का सम्‍मेत शिखर पर जाकर समाधि लेना, गहरा प्रयोग था। वह इस चेष्‍टा में था कि उस स्‍थल पर इतनी सघनता हो जाए कि संबंध स्‍थापित करने आसान हो जाएं। उस स्‍थान से इतनी चेतनाएं यात्रा करें दूसरे लोक में, कि उस स्‍थान और दूसरे लोक के बीच सुनिश्चित मार्ग बन जाएं। वह सुनिश्चित मार्ग रहा है।

और जैसे जमीन पर सब जगह एक सी वर्षा नहीं होती, घनी वर्षा के स्‍थल है, विरल वर्षा के स्‍थल है। रेगिस्‍तान है जहां कोई वर्षा नहीं होती, और ऐसे स्‍थान है जहां पाँच सौ इंच वर्षा होती है। ऐसी जगह है जहां ठंडा है सब और बर्फ के सिवाए कुछ भी नहीं है, और ऐसे स्‍थान है जहां सब गर्म हे। और बर्फ भी नहीं बन सकती।

ठीक वैसे ही पृथ्‍वी पर चेतना की डैंसिटी और नान-डेंसिटी के स्‍थल है। और उनको बनाने की कोशिश की गई हे। उनको निर्मित करने की कोशिश कि गई हे। क्‍योंकि वह अपने आप निर्मित नहीं होंगे, वह मनुष्‍य की चेतना से निर्मित होंगे। जैसे सम्‍मेत शिखर पर बाईस तीर्थ करों का यात्रा करके, समाधि में प्रवेश करना, और उसी एक जगह से शरीर को छोड़ना, उस जगह पर इतनी घनी चेतना को प्रयोग है कि वह जगह चार्जड हो जाएगी विशेष अर्थों में। और वहां कोई भी बैठे उस जगह पर और उन विशेष मंत्रों का प्रयोग करे जिन मंत्रों को उन बाईस लोगों ने किया है तो तत्‍काल उसकी चेतना शरीर को छोड़कर यात्रा करनी शुरू कर देगी। वह प्रक्रिया वैसी ही विज्ञान की है जैसी कि और विज्ञान की सारी प्रक्रियाएं है।

आज से साढ़े चौदह सौ वर्ष पूर्व अन्तिम अवतार मुहम्मद सल्ल0 ने कहा था कि हज्रे अस्वद (काला पत्थर) स्वर्ग से उतरा है (तिर्मिज़ी) और आज विज्ञान ने भी खोज करके सिद्ध कर दिया कि वास्तव में यह पत्थर जन्नती पत्थर है । इस खोज का सिहरा ब्रीटेन के एक वैज्ञानिक रिचर्ड डिबर्टन के सर जाता है जो स्वयं को मुस्लिम सिद्ध करते हुए काबा का दर्शन करने के लिए मक्का आया, वह अरबी भाषा जानता था । जब मक्का पहुंचा तो काबा में दाखिल हुआ और हज्रे अस्वद से एक टुकड़ा प्रप्त करने में सफल हो गया। उसे अपने साथ लंदन लाया और ज्यूलोजी की लिबार्ट्री में उस पर तजर्बा शुरू कर दिया। खोज के बाद इस परिणाम पर पहुंचा कि हज्रे अस्वद धरती के पत्थरों में से कोई पत्थर नहीं बल्कि आसमान से उतरा हुआ पत्थर है। और उसने अपनी पुस्तक ( मक्का और मदीना की यात्रा) में इस तथ्य को स्पष्ट किया। यह पुस्तक 1956 में अंग्रेजी भाषा में लंदन से प्रकाशित हुई।

34 पाठको ने कहा ...

  1. Basant Sager says:

    मुसलमानों का तीर्थ है— काबा। काबा में मुहम्‍मद के वक्‍त तक तीन सौ पैंसठ मूर्तियां थी। और हर दिन की एक अलग मूर्ति थी। वह तीन सौ पैंसठ मूर्तियां हटा दी गयी, फेंक दी गई। लेकिन जो केंद्रीय पत्‍थर था मूर्तियों का, जो मंदिर को केंद्र था, वह नहीं हटाया गया। तो काबा मुसलमानों से बहुत ज्‍यादा पुरानी जगह है। मुसलमानों की तो उम्र बहुत लंबी नहीं है…..चौदह सौ वर्ष।

    बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है आपने काबा के बारे में .....

  2. ओशो को पढना अपने आप में निराला होता है ..... शानदार लेख

  3. Usman says:
    इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
  4. Usman says:

    समझ लें कि एक लाख साल बाद यह पृथ्‍वी नष्‍ट हो चुकी हो, इसकी आबादी खो चुकी हो, कोई आश्चर्य नहीं है। कल अगर तीसरा महायुद्ध हो जाए तो यह पृथ्‍वी सूनी हो जाए, पर चाँद पर जो हम चिन्‍ह छोड़ आए है, हमारे अंतरिक्ष यात्री चाँद पर जो वस्तुएँ छोड़ आए है वे वहीं बनी रहेंगी, सुरक्षित रहेंगी। उन्‍हें बनाया भी इस ढंग से गया है कि लाखों वर्षो तक सुरक्षित रह सकें।

    अगर कभी कोई चाँद पर कोई भी जीवन विकसित हुआ, या किसी और ग्रह से चाँद पर पहुंचा, और वह चीजें मिलेंगी, तो उनके लिए भी कठिनाई होगी कि वे कहां से आयी है? उनके लिए भी कठिनाई होगी। काबा का जो पत्‍थर है वह सिर्फ उल्‍कापात में गिरा हुआ पत्‍थर नहीं है। वह पत्‍थर पृथ्‍वी पर किन्‍हीं और ग्रहों के यात्रियों द्वारा छोड़ा गया पत्‍थर है। और उस पत्‍थर के माध्‍यम से उस ग्रह के यात्रियों से संबंध स्‍थापित किए जा सकते थे। लेकिन पीछे सिर्फ उसकी पूजा रह गयी। उसका पूरा विज्ञान खो गया, क्‍योंकि उससे संबंध के सब सूत्र खो गए।


    बहुत ही बढ़िया आलेख है ..... खुली सोच के साथ लिखा गया लेख

  5. sanu shukla says:

    ओशो के कहे पर कुछ भी लिखना ऐसे है
    जैसे सूरज को दिया दिखाना ....

  6. ओशो को पढ़कर मन को एक शांति का अनुभव होता है ......... अच्छा लेख

  7. Akhilesh says:

    आपने बिल्कुल ठीक कहा ये वाकई नई जानकारी थी मेरे लिए मुझे बेहद पसंद भी आई बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस जानकारी को हमारे साथ बाँटने के लिए

  8. padhkr bahut sari jankari mili........dhanyavaad

  9. वह उल्‍कापात में गिरा हुआ पत्‍थर ही हो लेकिन जरुरी नही यह इस मुस्लिम धर्म से ही या अन्य धर्म से जुडा हो, अगर यह जन्नत से आया है तो क्या वैज्ञानिक रिचर्ड डिबर्टन ने जन्नत को देखा है? जो दावे से यह कहते है?
    इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद

  10. काबा के बारे में आपके आलेख और सुधिब्लॉगरों की टिप्पणियों से बढ़िया जानकारी मिली!

  11. अच्छी जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए आभार ......

  12. कुछ स्ट्रेट कही गई आपकी बाते पसन्द आई मगर बाई दी वे ये चौदह सौ साल कब पूरे होने जा रहे है ? मेरी तो क्युरिओसिटी बढ्ती ही जा रही है :)

  13. Rahul Singh says:

    रजनीश जी का लेखन मुझे आसानी से hard copy में उपलब्‍ध रहा है, और ऐसा गूढ़ गंभीर किताबों में पढ़ना ही अधिक सुहाता है, लेकिन ऐसी चीजें पढ़ने के इच्‍छुक जिन्‍हें किताबें नहीं मिल पातीं, यह उपलब्धि ही है.

  14. Bahu achha likha hai aapney..

    agar aap hamare blog par bhi kadam rakhengey to hamara utaah wardhan hoga..

    www.aandolann.com

  15. बेहद उतम जानकारीपरक पोस्ट....लेकिन बीच बीच में किसी जगह कुछ छूटा हुआ सा लग रहा है.

  16. गणेश चतुर्थी एवं ईद की बधाई

  17. Urmi says:

    आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
    बहुत सुन्दर !

  18. उत्तम विचार!

    हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।

    देसिल बयना – 3"जिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे !!", राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें

  19. बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है आपने काबा के बारे में .....

  20. नई जानकारी का प्रस्तुतीकरण अच्छा लगा |बधाई
    आशा

  21. बेनामी says:

    भाइ जितने पत्थर इस दुनिया मे है वो सभी उपर वाले ने बनाया है

  22. आभार आप सभी का, भविष्य में भी ऐसा ही सहयोग बहाए रखे

  23. अच्छी सार्थक जानकारी देती पोस्ट ...

  24. क्‍या बाकि बुद्ध मृत है?...............

  25. आभार आप सभी पाठको का ....
    सभी सुधि पाठको से निवेदन है कृपया २ सप्ताह से ज्यादा पुरानी पोस्ट पर टिप्पणिया न करे
    और अगर करनी ही है तो उसकी एक copy नई पोस्ट पर भी कर दे
    ताकि टिप्पणीकर्ता को धन्यवाद दिया जा सके

    ओशो रजनीश

  26. bahut gyanvardhak jankari di aapne. lekin lekh kuchh adhura sa laga. dhanyavaad.

  27. बेनामी says:

    Ji apjo ye knowlegde baat rahe hhe to me yad dilau ki makka ka original religion jewish tha unko 1400 sal pahele mar kat kar ke unke puja sthano par kabja jamaya mohammad ji or unke logone,or dusre ke puja sthan ko apna puja sthan bana diya....
    kya ye sahi he...kisi dusre ke mandir ki 365 murti todke usme se ek mrti ko apna bhagvan sabit karvanaa..
    ye to khulle amm dhokha/terrorism hey...

  28. बेनामी says:


    हर धर्म की किताब मे लिखा हुआ है झूठ बोलना पाप है फिर भी तुम हिन्दु अपनी तरफ से हदीसे कुरआन की आयते सब झूठ क्यो लिखते है। आयत नम्बर हदीस नम्बर सब अपनी तरफ से झूठ लिख देते हो। शर्म नही आती तुम्हे। कयामत के दिन जब इंसाफ होगा तब तुम्हे झूठा इल्जाम लगाने का पता चल जायेगा । हद होती है हर चीज की। आपने काबे पर भी इल्जाम लगा दिया। वो अल्लाह का घर है। वहा पर नमाज पडी जाती है लिंग की पूजा नही होती। और क्या कहते हो तुम हमे काबे की सच्चाई सामने क्यो नही लाते हो। यूटयूब पर हजारो विडियो पडी हुयी है देख लो कोई लिंग विंग नही है वहा। बस जन्नत का एक गोल पत्थर है और हर पत्थर का मतलब लिंग नही होता। बाईचान्स मान लो वहा शिव लिंग है।तो क्या आपके शिव लिंग मे इतनी भी ताकत नही है जो वहा से आजाद हो सके। तुम्हारी गंदी नजरो मे सभी मुस्लिम अच्छे नही है इसलिए सारे मुस्लिमो को शिव मार सके। आप तो कहते हो शिव ने पूरी दुनिया बनाई तो क्या एक छोटा सा काम नही कर सकते।
    इसलिए तो इन लिंग विंग पत्थरो के बूतो मे कोई ताकत नही होती। बकवास है हिन्दु धर्म।

  29. बेनामी says:

    Har dharm apne aap me ek jhoot h mere bhai......kya charles darwin ki theory of evolution k siddh ho jane k bad quran aur bible ki adam aur hawwa wali baat jhooti nahi pad gayi....kya ye janne k bad ki zebra ,hathi jese jeevo me bhi homosexuality payi jati h aur ye bilkul prakartik h ....Christianity aur islam ki homosexuality apradh h wali baat jhooti nahi pad gyi.....jise tum dharm kehte ho wo sangathan h ....aur sanghathan ka nirman political aur social uddesho k liye hota h

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