" मेरा पूरा प्रयास एक नयी शुरुआत करने का है। इस से विश्व- भर में मेरी आलोचना निश्चित है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता "

"ओशो ने अपने देश व पूरे विश्व को वह अंतर्दॄष्टि दी है जिस पर सबको गर्व होना चाहिए।"....... भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री चंद्रशेखर

"ओशो जैसे जागृत पुरुष समय से पहले आ जाते हैं। यह शुभ है कि युवा वर्ग में उनका साहित्य अधिक लोकप्रिय हो रहा है।" ...... के.आर. नारायणन, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति,

"ओशो एक जागृत पुरुष हैं जो विकासशील चेतना के मुश्किल दौर में उबरने के लिये मानवता कि हर संभव सहायता कर रहे हैं।"...... दलाई लामा

"वे इस सदी के अत्यंत अनूठे और प्रबुद्ध आध्यात्मिकतावादी पुरुष हैं। उनकी व्याख्याएं बौद्ध-धर्म के सत्य का सार-सूत्र हैं।" ....... काज़ूयोशी कीनो, जापान में बौद्ध धर्म के आचार्य

"आज से कुछ ही वर्षों के भीतर ओशो का संदेश विश्वभर में सुनाई देगा। वे भारत में जन्में सर्वाधिक मौलिक विचारक हैं" ..... खुशवंत सिंह, लेखक और इतिहासकार

प्रकाशक : ओशो रजनीश | बुधवार, दिसंबर 01, 2010 | 24 टिप्पणियाँ

चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: ओशो,


"मैं तुम्हें कोई लक्ष्य नहीं देने वाला। मैं तुम्हें केवल दिशा दे सकता हूं -

जाग्रत, जीवन से स्पंदित, अज्ञात, सदा विस्मयपूर्ण, बिना

किसी पूर्वानुमान के। मैं तुम्हें कोई नक्शा नहीं

दे रहा। मैं तुम्हें तलाश की महा –

जिज्ञासा दे सकता हूं।

हां, कोई नक्शा

नहीं चाहिये।

तलाश के लिये महा

- अभीप्सा, महा - आकांक्षा चाहिये।

फिर मैं तुम्हें अकेला छोड़ देता हूं। फिर तुम

अकेले निकल पड़ते हो। महा - यात्रा पर जाने के लिये।

अनंत की यात्रा पर निकल पड़ो और धीरे - धीरे इस पर श्रद्धा करना

सीखो। स्वयं को जीवन के भरोसे छोड़ दो।"

24 पाठको ने कहा ...

  1. बेनामी says:

    har gyani mahatma raasta de sakte hai manjil nahi aap ne sahi kaha
    pranam

  2. बेनामी says:

    बढ़िया कहा है ओशो ने

  3. shi khaa jnaab akela jo choda he sfr bhi zindgi kaa khud ko hi krna he. akhtar khan akela kota rajsthan

  4. सुन्दर विचार्।

  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
  6. bahut bada jeevan-darshan...
    aise sadvicharon ki hi to jaroorat hai aaj ki insani zindgi ko.

  7. बेनामी says:

    सारा जगत ओवर फ्लोइंग है, आदमी को छोड़कर। सारा जगत आगे के लिए नहीं जी रहा है। सारा जगत भीतर से जी रहा है। फूल खिल रहे। खिलनें का आनंद है।

  8. बेनामी says:

    चारों तरफ एक उत्सव का माहौल है। पर आदमी इसके बीच कैसा पत्थर और बेजान सा हो गया है। आनंद अभी है, यही है, स्‍वय में विराजने में है अपने होने में है। अभी और यही।

  9. बेनामी says:

    इस सूत्र को ठीक से कोई साधक समझ ले...और मैं तो आपको इसीलिए कह रहा कि आपको साधना की दृष्टि से खयाल में आ जाए। अगर साधना की दृष्टि से खयाल में आ जाए, तो आप सब करके भी अकर्ता रह जाते हैं। आपने जो भी किया, अगर परमात्मा इतना करके और पीछे अछूता रह जाता है, तो आप भी सब करके पीछे अछूते रह जाते हैं। लेकिन इस सत्य को जानने की बात है, इसको पहचानने की बात है।

  10. बेनामी says:

    संसार परमात्मा के लिए एक स्वप्न से ज्यादा नहीं है। आपके लिए भी संसार एक स्वप्न हो जाए, तो आप भी परमात्मा से भिन्न नहीं रह जाते। फिर दोहराता हूं-संसार परमात्मा के लिए एक स्वप्न से ज्यादा नहीं है,

  11. बेनामी says:

    और जब तक आपके लिए संसार एक स्वप्न से ज्यादा है, तब तक आप परमात्मा से कम होंगे। जिस दिन आपको भी संसार एक स्वप्न जैसा हो जाएगा, उस दिन आप परमात्मा हैं। उस दिन आप कह सकते हैं, अहं ब्रह्मास्मि! मैं ब्रह्म हूं

  12. बेनामी says:

    कोई भी काम करके देखें। खाना खाकर देखें। रास्ते पर चलकर देखें। किसी पर क्रोध करके देखें। और जानें कि हो रहा है। और पीछे खड़े देखते रहें कि हो रहा है। और तब आपको इस सूत्र का राज मिल जाएगा।

  13. बेनामी says:

    इसकी सीक्रेट-की, इसकी कुंजी आपके हाथ में आ जाएगी। तब आप पाएंगे कि बाहर कुछ हो रहा है और आप पीछे अछूते वही के वही हैं जो करने के पहले थे, और जो करने के बाद भी रह जाएंगे। तब बीच की घटना सपने की जैसी आएगी और खो जाएगी।

  14. बेनामी says:

    हिंदुस्तान और जातिवाद का कारण

    दो तीन बातें करना चाहूँगा। एक तो जातीय दंगे को साधारण मानना शुरू करना चाहिए। उसे जातीय दंगा मानना नहीं चाहिए, साधारण दंगा मानना चाहिए। और जो साधारण दंगे के साथ व्यवहार करते हैं वही व्यवहार उस दंगे के साथ भी करना चाहिए, क्योंकि जातीय दंगा मानने से कठिनाइयां शुरू हो जाती हैं,

  15. बेनामी says:

    इसलिए जातीय दंगा मानने की जरूरत नहीं है। जब एक लड़का एक लड़की को भगाकर ले जाता है, वह मुसलमान हो कि हिन्दू, कि लड़की हिन्दू है कि मुसलमान है-इस लड़के और लड़की के साथ वही व्यवहार किया जाना चाहिए, जो कोई लड़का किसी लड़की को भगा कर ले जाये, और हो। इसको जातीय मानने का कोई कारण नहीं है

  16. बेनामी says:

    जैसे चीन है-चीन में आप जातीय दंगा नहीं करवा सकते। कोई उपाय नहीं है। और कोई दंगे नहीं कर रहा ! जातीय दंगे नहीं करवा सकते चीन में। उसका कारण है कि कभी-कभी एक-एक घर में पांच-पांच रिलिजन के लोग हैं। दंगा करवाइए किससे, भड़काइएगा किसको ? बाप कंफ्यूशियस को मानता है, पत्नी, उसकी मां जो है, लाओत्से को मानती है, बेटा मुहम्मद को मानता है कोई बुद्धिस्ट है घर में, एक लड़की है-बहू जो है वह। तो चीन में एक-एक घर में कभी-कभी पांच-पांच धर्म के आदमी भी हैं।

  17. बेनामी says:

    इसकी वजह से कंवर्शन नहीं होता। अगर लड़का हिन्दू है और स्त्री मुसलमान है, तो पत्नी मुसलमान होना जारी नहीं रख सकती। मेरा मतलब समझे न आप ? जब एक घर में पांच धर्मों के लोग हों, तो आप अलग करवाइगा कैसे ? किसके साथ दंगा करवाइगा ?

  18. बेनामी says:

    डिमार्केशन मुश्किल हो जाता है। हिन्दुस्तान में डिमार्केशन आसान है-यह हिन्दू है, यह मुसलमान है, यह साफ मामला है। मुसलमान अगर मरता है तो मेरी न तो पत्नी मरती है, न मेरी बहन मरती है, कोई नहीं मरता है, मुसलमान मरता है।

  19. बेनामी says:

    और हम, जो इस मुल्क में जातीय दंगों को खत्म करना चाहते हैं, इतनी ज्यादा जातीयता की बात करते हैं कि हम उसे रिकग्रीशन देना शुरू कर देते हैं। इसलिए पहली बात तो यह है कि जातीयता को राजनीति के द्वारा किसी तरह का रिकग्रीशन नहीं होना चाहिए। राज्य की नजरों में हिन्दू या मुसलमान का कोई फर्क नहीं होना चाहिए।

  20. बेनामी says:

    लेकिन हमारा राज्य खुद गलत बातें करता है। हिन्दू कोड़ बिल बनाया हुआ है, जो कि सिर्फ हिन्दुओं पर लागू होगा, मुसलमान पर लागू नहीं होगा ! यह क्या बदतमीजी की बातें हैं ? कोई भी कोड़ हो तो पूरे नागरिकों पर लागू होना चाहिए। अगर ठीक है तो सब पर लागू होना चाहिए, ठीक नहीं है तो किसी पर लागू नहीं होना चाहिए। लेकिन जब आपका पूरा राज्य भी हिन्दुओं को अलग मानकर चलता है, मुसलमान को अलग मानकर चलता है, तो किस तल पर यह बात खत्म होगी ?

  21. बेनामी says:

    तो पहले तो हिन्दुस्तान की सरकार को साफतौर से तय कर लेना चाहिए कि हमारे लिए नागरिक के अतिरिक्त किसी का अस्तित्व नहीं है। और अगर ऐसा मुसलमान गुंडागिरी करता है तो एक नागरिक गुंडागिरी कर रहा है। जो उसके साथ व्यवहार होना चाहिए, वह होगा। यह मुसलमान का सवाल नहीं है। राज्य की नजरों से हिन्दू और मुसलमान का फासला खत्म होना चाहिए, पहली बात।

  22. बेनामी says:

    दूसरी बात-कि हिन्दू मुसलिम के बीच शांति हो, हिन्दू मुस्लिम का भाई-चारा तय हो, इस तरह की सब कोशिश बंद करनी चाहिए। यह कोशिश खतरनाक है। इसी कोशिश ने हिन्दुस्तान पाकिस्तान को बंटवाया।

  23. बेनामी says:

    क्योंकि जितना हम जोर देते हैं कि हिन्दू मुस्लिम एक हों, उतना ही हर बार दिया गया जोर बताता है कि वे एक नहीं हैं। यह हालत वैसी है जैसे कि कोई आदमी किसी को भूलना चाहता हो, और क्योंकि भूलना चाहता है इसलिए भूलने के लिए हर बार याद करता है। और हर बार याद करता है तो उसकी याद मजबूत होती चली जाती है।

  24. बहुत बहुत शुक्रिया पाठको का जो मेरे इस छोटे से प्रयास को सराहा आप लोगो ने ... आभार

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