नहीं हूं और न ही मैं कहीं अटका हूं।
मैं प्रवाह में हूं । मैं हैराक्लिटस से सहमत हूं कि तुम
एक ही नदी में दो बार नहीं उतर सकते। यदि अनुवाद किया जाए
तो इसका अर्थ हुआ: तुम एक ही व्यक्ति को दोबारा नहीं मिल सकते। मैं उससे
सहमत ही नहीं हूं बल्कि एक कदम आगे जाता हूं कि एक ही नदी में
तुम एक बार भी नही उतर सकते। मनुष्य के संसार में यदि
इसका अनुवाद किया जाए तो अर्थ यह हुआ कि
तुम एक ही व्यक्ति को एक बार भी नहीं
मिल सकते क्योंकि एक बार भी
जब तुम उसे मिल रहे
हो तो वह
बदल रहा है,
तुम बदल रहे हो,
संपूर्ण संसार बदल रहा है।"
ओशो
achha vichar hai ...just feel it....but i wanna more to read.
बढ़िया लिखा है
मेरे ब्लॉग पर आये और इसे भी पढ़े :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/11/blog-post_17.html
क्या बात है ... बढ़िया लेखन
देश मे चन्द लोग धर्म के ठेकेदार राजनैतिक लाभ के लिये लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काकर हमारे देश की भोली-भाली जनता,नौजवान,युवा वर्ग को मानवता,भाईचारा, आपसी सद्भाव, देश प्रेम की शिक्षा, अच्छे आदर्श की मजबूत नीव डालने के बजाये।
हमारे देश की नीव, हमारे देश के मजबूत खम्बे,हमारे देश का गौरव, भारत देश का भविष्य हमारे नौजवान,युवा वर्ग के हाथों से जघन्य अपराध करवा कर पाप के भागी बना कर भारत देश की नीव को कमजोर खोखला कर रहे हैं।और देश में फूट डालने का काम कर रहे है। कहावत है:-जिस घर देश मे फूट पड़ जाती है वो घर बर्बाद हो जाता है।
हम सब जानते है बुजुर्गों ने भी कहा है जैसा हम बीज बोते है वैसा हम काटते हैं तात्पर्य जैसी करनी वैसी भरनी। हर बुरे और अच्छे कार्य का प्रतिफल इसी मनुष्य योनी मे मिलता है।
और पीढियों तक भुगतना पड़ता है।हमारी आने वाली पीढी ये न कहे कि हमारे बाप दादों ने अंगूर खाये थे दांत हमारे खट्टे हुऐ। हम सब देखते और जानते हैं इतिहास भी गवाह है।
ईसाई समाज यीशु मसीह की आज्ञा जैसे कि:- अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना आदर करना, हत्या न करना, चोरी न करना, किसी के विरुद्ध झूठी गवाही न देना किसी भी प्रकार का लोभलालच न करना,झूठ न बोलना,व्यभिचार न करना,मनुष्य से अपने समान प्रेम रखना,झगड़ा न करना ईर्ष्या न करना आदि हैं।
भूखे को रोटी भोजन देना, नन्गे को कपड़ा पहनाना, गरीबों लाचारों की मदद करना, बीमारों की सेवा और उनके लिये प्रार्थना करना,बन्दीग्रह मे कैदियों की सुधी लेना, अनाथों और विधवाओं पर अन्याय नही करना इनकी मदद करना, मनुष्य का हृदय ईश्वर का मंदिर है ईश्वर मनुष्य के हृदय मे वास करता है यही मानव सेवा है जिसे हम मानवता या मानव धर्म कहते हैं।
ईश्वर की सेवा है। जो कंगालों पर अनुग्रह करता है वो ईश्वर परमात्मा को उधार कर्ज देता है। ईश्वर के इन्ही आदर्शों का पालन करते हुऐ भारत देश के मूल निवासी मसीही समाज अपने जीवन का निर्वाहन कर रहा है।
बढ़िया प्रवचन
मेरे ब्लॉग पर आये और जाने बिग बॉस के बारे में :-
http://bigboss-s4.blogspot.com/2010/11/blog-post_1803.html
# कौन ज्यादा ताकतवर? बिग बास या फिर सरकार..?
# 'बिग बॉस' को राहत, सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट ने लग...
# राखी का इंसाफ, बिग बॉस पर लगाम
# बिग बॉस के प्रसारण पर चैनल को समन
# राजनीतिक रूपरेखा तय, खुलासा बाद में
# भरोसा है, खाली हाथ नहीं लौटेंगे खली
# पामेला को भाए बिग बॉस के परांठे
# चू़डी, बिंदी, झुमके और स़ाडी में दिखेंगी पामेला !
# रात 11 बजे के बाद दिखायें 'बिग बॉस' और 'राखी का इं...
हमने न जाने कितने शब्द खड़े किये हुए है जो दीवार की तरह एक-दुसरे मनुष्य को अलग कर रहे है। और मनुष्य को अलग ही नहीं कर रहे है, हमारी आँखों को भी अँधा कर रहे है, हमारे प्राणों को भी बहरा कर रहे है, हमारी संवेदनशीलता को तोड़ रहे है।
शब्दों से मुक्त होना चाहिए। ये एक तो शब्द है, दीवार की तरह मनुष्य-मनुष्य को तोड़ रहे है और साथ ही ये शब्द जीवन के प्रति भी हमारी आखों को नहीं खुलने देते। हम शायद सब तरफ शब्दों को खड़ा कर लेते है। अपने चारो तरफ एक किला बना लेते है शब्दों का, और उसके भीतर छिप जाते है।
बहुत ही बढ़िया शब्द है ओशो के
बहुत ही बढ़िया शब्द है ओशो के
nice
aman jeet singh,,
बहुत सुन्दर !
osho ka jeewan darshan vastav me anukarniy hai.