एक साधारण व्यक्ति हूं।
मेरे पास कोई करिश्मा नहीं और मैं
करिश्मे में विश्वास नहीं करता। मैं पद्धतियों में
विश्वास नहीं करता। भले ही मैं उनका इस्तेमाल करता हूं
लेकिन मैं उन पर विश्वास नहीं करता। मैं एक साधारण व्यक्ति हूं,
बहुत आम। मैं भीड़ में खो सकता हूं और तुम कभी मुझे ढूंढ न पाओगे।
मैं तुम्हारे आगे नहीं, साथ चलता हूं।"
बढ़िया लिखा है
मेरे ब्लॉग पर भी आये
http://bigboss-s4.blogspot.com/
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मैं तुम्हारे आगे नहीं, साथ चलता हूं।"
बढ़िया
सुंदर शब्द और सार्थक लेख , कम शब्दों में सार्थक बात
bas yahi chahiye!!! bhavy!
kabhi hamare blog pr aaiye ,,...hame achha lagega.
मेरे ब्लॉग पर भी आये
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/11/blog-post_16.html
achha pravachan
aman jeet singh,,
थोडे शब्दो मे गहरी बात कह दी।
very vice
अच्छा लिखा है
प्रश्न हैरू. ये बताये आप खाना आंख बन्द करके खाते है
या खाते समय आपकी नजर थाली पर रहती है कि कही
कीड़ा या बाल तो नही है निवाले मे कंकंड़ आ जाता है
तो आप उसे खा लेते है या उगल देते है। जरा सोचें।
बढ़िया और सार्थक लेख
sunder aalekh. osho rajnish ko padna hamesha sarthak raha hai.
बहुत बहुत शुक्रिया पाठको का जो मेरे इस छोटे से प्रयास को सराहा आप लोगो ने ... आभार