विस्मयपूर्ण, बिना किसी पूर्वानुमान के। मैं तुम्हें कोई नक्शा नहीं दे रहा। मैं तुम्हें तलाश की महा -
जिज्ञासा दे सकता हूं।हां, कोई नक्शा नहीं चाहिये। तलाश के लिये महा - अभीप्सा,
महा - आकांक्षा चाहिये। फिर मैं तुम्हें अकेला छोड़ देता हूं। फिर तुम अकेले
निकल पड़ते हो। महा - यात्रा पर जाने के लिये। अनंत की यात्रा
पर निकल पड़ो और धीरे - धीरे इस पर श्रद्धा करना सीखो।
स्वयं को जीवन के भरोसे छोड़ दो।"
ओशो
सुन्दर शब्द और ज्ञानवर्धक जानकारी ......
क्या कहे ओशो के बारे में ओशो लिखते ही इतना कमाल का है ....
मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
http://samajik2010.blogspot.com/2010/11/blog-post.html
बहुत ही लाजवाब ... कमाल का लिखते हैं ओशो ...
कमाल का लिखते हैं ओशो mai to yahi kahunga
OSHO DHARTI PE PAIDA HUE ASCH CHARYA HAI' UNKA HAR SHABD ANUTHA,CHAMATKRIT KARNE WALA HOTA HAI,HUM BADE