" मेरा पूरा प्रयास एक नयी शुरुआत करने का है। इस से विश्व- भर में मेरी आलोचना निश्चित है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता "

"ओशो ने अपने देश व पूरे विश्व को वह अंतर्दॄष्टि दी है जिस पर सबको गर्व होना चाहिए।"....... भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री चंद्रशेखर

"ओशो जैसे जागृत पुरुष समय से पहले आ जाते हैं। यह शुभ है कि युवा वर्ग में उनका साहित्य अधिक लोकप्रिय हो रहा है।" ...... के.आर. नारायणन, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति,

"ओशो एक जागृत पुरुष हैं जो विकासशील चेतना के मुश्किल दौर में उबरने के लिये मानवता कि हर संभव सहायता कर रहे हैं।"...... दलाई लामा

"वे इस सदी के अत्यंत अनूठे और प्रबुद्ध आध्यात्मिकतावादी पुरुष हैं। उनकी व्याख्याएं बौद्ध-धर्म के सत्य का सार-सूत्र हैं।" ....... काज़ूयोशी कीनो, जापान में बौद्ध धर्म के आचार्य

"आज से कुछ ही वर्षों के भीतर ओशो का संदेश विश्वभर में सुनाई देगा। वे भारत में जन्में सर्वाधिक मौलिक विचारक हैं" ..... खुशवंत सिंह, लेखक और इतिहासकार

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Archive for जनवरी 2010

29 जनव 2010

यह जीवन के सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, क्योंकि यह मूल जीवन-ऊर्जा से संबंधित है। कामवासना...यह शब्द ही अत्यंत निंदित हो गया है। क्योंकि समस्त धर्म उन सब चीजों के दुश्मन हैं, जिनसे मनुष्य आनंदित हो सकता है, इसलिए काम इतना निंदित किया गया है। उनका न्यस्त स्वार्थ इसमें था कि लोग दुखी रहें, उन्हें किसी तरह की शांति, थोड़ी सी भी सांत्वना, और इस रूखे-सूखे मरुस्थल में क्षण भर को भी मरूद्यान की हरियाली पाने की संभावना शेष न रहे। धर्मों के लिए यह परम आवश्यक था कि मनुष्य के सुखी होने की पूरी संभावना नष्ट कर दी जाए।यह उनके लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों था? यह महत्वपूर्ण था क्योंकि वे तुम्हें, तुम्हारे मन को किसी और दिशा में मोड़ना चाहते थे-परलोक की ओर। यदि तुम सच में ही यहां आनंदित हो-इसी लोक...

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28 जनव 2010

मैं हमेशा ऐसा अनुभव क्यों करता हूं, जैसे कि मेरा एक हिस्सा दूसरे हिस्से के विरुद्ध लड़ रहा है?मनुष्य का इतिहास एक अत्यंत दुखद घटना रहा है, और इसके दुखद होने का कारण समझना बहुत कठिन नहीं है। उसे खोजने के लिए तुम्हें ज्यादा दूर जाना न पड़ेगा, वह प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद है।मनुष्य के पूरे अतीत ने मनुष्य में एक विभाजन पैदा कर दिया है, हर आदमी के भीतर निरंतर एक शीत युद्ध चल रहा है। यदि तुम्हें बेचैनी का अनुभव होता है, तो उसका कारण व्यक्तिगत नहीं है। तुम्हारी बीमारी सामाजिक है। और जिस चालाकी से भरी तरकीब का उपयोग किया गया है, वह है: तुम्हें दुश्मनों के दो खेमों में बांटना-भौतिकवादी और अध्यात्मवादी, जोरबा और बुद्ध।वस्तुतः तुम बंटे हुए नहीं हो। वास्तविकता यह है कि तुम अखंड हो-एक स्वर में, एक लय में...

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27 जनव 2010

"मैं यहां तुम्हें स्वप्न देने के लिये नहीं हूं, बल्कि बिलकुल इसके विपरीत मैं यहां तुम्हारे स्वप्नों को धवस्त करने के लिये हूं" "तुम मेरे बारे यह नहीं कह सकते कि मैं सही हूं या ग़लत। अधिक से अधिक तुम यही कह सकते हो कि मैं उलझन पैदा कर रहा हूं। लेकिन यही मेरा उपाय है: तुम्हें उलझा दूं। कहां तक तुम यह सह सकोगे कि मैं यहां से वहां और वहां से यहां बदलता रहूं। एक दिन तुम चिल्लाने ही वाले हो," दूर रहो! अब निर्णय मैं लूंगा।" "मैं कोई गंभीर कार्य नहीं कर रहा। मैं कार्य कर ही नहीं रहा। यह मेरी मौज है जो मैं तुमसे बांट रहा हूं। अब तुम इसके साथ क्या क्रते हो यह तुम्हारी समस्या है, मेरी नहीं।" "मेरी देशना है कि अतीत से संपूर्ण संबंध विच्छेद हो। मैं चाहता हूं कि पहले तुम ज़ोरबा की भांति जीयो। उस नींव पर...

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27 जनव undefined

"Osho advocated meditation for everyone, but his technique was revolutionary, beginning not with stillness and silence but with violent activity to release pent-up energy and emotions, leading to a state of calmness in which meditation can flourish। ...This is an ideal place for people to learn the dozens of meditations he designed. There's swimming meditation, dancing and martial arts meditation, smoking meditation, walking meditation, breathing meditation and meditation for couples." Washington Post "Remarkable books." Nicholas Mosley, Daily Telegraph, UK "He was a guru unencumbered by tradition, an enlightened master who could quote Heidegger, and Sartre, and who furthermore believed in...

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27 जनव undefined

"ओशो ने अपने देश व पूरे विश्व को वह अंतर्दॄष्टि दी है जिस पर सबको गर्व होना चाहिए।"भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री चंद्रशेखर"ओशो जैसे जागृत पुरुष समय से पहले आ जाते हैं। यह शुभ है कि युवा वर्ग में उनका साहित्य अधिक लोकप्रिय हो रहा है।"के.आर. नारायणन, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति, "ओशो एक जागृत पुरुष हैं जो विकासशील चेतना के मुश्किल दौर में उबरने के लिये मानवता कि हर संभव सहायता कर रहे हैं।"दलाई लामा"उनके साहित्य को पढ़कर मैं बेहद प्रभावित हुआ हूं।"फैड्रीको फैलीनी "मैं सचमुच उनके साहित्य में गहरा गया हूं। मैं सदैव उनकी पुस्तकों के प्रेम में रहा हूं। वे वाकई उच्चतम क्षेणी की हैं।"मैरिएन विलियमसन, लेखक "यह प्रतिभाशाली सूत्र सदैव उन सबका मार्ग-निर्देष करते रहेंगे जो प्रत्येक मनुष्य में निहित...

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27 जनव undefined

न कभी जन्मे - न कभी विदा हुए, जो सिर्फ इस ग्रह पृथ्वी ग्रह पर अतिथि हुए 11 दिसंबर, 1931 और 19 जनवरी, 1990 के बीचइन वस्तुत: अमर शब्दों के साथ, ओशो अपनी जीवनी को नकारते हैं और अपना मृत्युवाक्य लिखते हैं। इससे पहले की हर चीज से अपना नाम हटाने के बाद, वह अंततः "ओशो" स्वीकार करने के लिए तैयार हुए, उन्होंने कहा कि यह विलियम जेम्स' "के ओशियानिक, महासागर''से व्युत्पन्न है "यह मेरा नाम नहीं है," "यह एक स्वास्थ्यदायी ध्वनि है।"उनके बिना किसी पूर्व तैयारी के दिये गये प्रवचन, जो उन्होने दो दशकों से अधिक की अवधि में विश्व भर के लोगों के समक्ष दिये, सभी के सभी ध्वनि-मुद्रित हैं, जिनमें कुछ प्रवचन वीडियो पर भी उपलब्ध हैं- ये कैसेट्स कोई भी ,कहीं भी सुन सकता है, और तब, ओशो का कहना है," वही मौन उपलब्ध होगा।इन...

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