यह जीवन के सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, क्योंकि यह मूल जीवन-ऊर्जा से संबंधित है। कामवासना...यह शब्द ही अत्यंत निंदित हो गया है। क्योंकि समस्त धर्म उन सब चीजों के दुश्मन हैं, जिनसे मनुष्य आनंदित हो सकता है, इसलिए काम इतना निंदित किया गया है। उनका न्यस्त स्वार्थ इसमें था कि लोग दुखी रहें, उन्हें किसी तरह की शांति, थोड़ी सी भी सांत्वना, और इस रूखे-सूखे मरुस्थल में क्षण भर को भी मरूद्यान की हरियाली पाने की संभावना शेष न रहे। धर्मों के लिए यह परम आवश्यक था कि मनुष्य के सुखी होने की पूरी संभावना नष्ट कर दी जाए।यह उनके लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों था? यह महत्वपूर्ण था क्योंकि वे तुम्हें, तुम्हारे मन को किसी और दिशा में मोड़ना चाहते थे-परलोक की ओर। यदि तुम सच में ही यहां आनंदित हो-इसी लोक...