" मेरा पूरा प्रयास एक नयी शुरुआत करने का है। इस से विश्व- भर में मेरी आलोचना निश्चित है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता "

"ओशो ने अपने देश व पूरे विश्व को वह अंतर्दॄष्टि दी है जिस पर सबको गर्व होना चाहिए।"....... भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री चंद्रशेखर

"ओशो जैसे जागृत पुरुष समय से पहले आ जाते हैं। यह शुभ है कि युवा वर्ग में उनका साहित्य अधिक लोकप्रिय हो रहा है।" ...... के.आर. नारायणन, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति,

"ओशो एक जागृत पुरुष हैं जो विकासशील चेतना के मुश्किल दौर में उबरने के लिये मानवता कि हर संभव सहायता कर रहे हैं।"...... दलाई लामा

"वे इस सदी के अत्यंत अनूठे और प्रबुद्ध आध्यात्मिकतावादी पुरुष हैं। उनकी व्याख्याएं बौद्ध-धर्म के सत्य का सार-सूत्र हैं।" ....... काज़ूयोशी कीनो, जापान में बौद्ध धर्म के आचार्य

"आज से कुछ ही वर्षों के भीतर ओशो का संदेश विश्वभर में सुनाई देगा। वे भारत में जन्में सर्वाधिक मौलिक विचारक हैं" ..... खुशवंत सिंह, लेखक और इतिहासकार

प्रकाशक : ओशो रजनीश | शुक्रवार, अगस्त 13, 2010 | 15 टिप्पणियाँ


जीवन प्रतिपल नया है। जीवन हर सांस में बदल रहा है। लेकिन हम और हमारा समाज-विशेषकर भारत में-ठहर सा गया है। इसमें कोई प्रवाह नहीं, कोई गतिशीलता नहीं। उसका दुष्परिणाम यह हुआ कि हम जीवन से ही कट गये हैं। हम पुराने से पुराने हो गये हैं। एकदम ठूंठ। हम विकासमान विश्व के प्रवाह से अलग-थलग हो गये हैं और हम बुरी तरह पिछड़ गये हैं।
इस पुस्तक में ओशो हमें झकझोरते हुए कहते हैं : सारी दुनिया में नए को लाने का आमंत्रण है। हम नये को स्वीकार करते हैं ऐसे, जैसे कि पराजय हो ! इसीलिए पांच हजार वर्ष पुरानी संस्कृति तीन सौ वर्ष, पचास वर्ष पुरानी संस्कृतियों के सामने हाथ जोड़ कर भीख मांगती है, और हमें कोई शर्म भी मालूम नहीं होती है। हम पांच हज़ार वर्षों में इस योग्य भी न हो सके, कि गेहूं पूरा हो सके, कि मकान पूरे हो सकें। अमरीका की कुल उम्र तीन सौ वर्ष है। तीन सौ वर्ष में अमरीका इस योग्य हो गया और कि सारी दुनिया के पेट को भरे।

और रूस की उम्र तो केवल सत्तर वर्ष ही है। सत्तर वर्ष की उम्र में रूस गरीब मुल्कों की कतार से हट कर अमीर मुल्कों की आखिरी कतार में खड़ा हो गया है। सत्तर वर्ष पहले जिसके बच्चे भूखे थे, आज उसके बच्चे चांद तारों पर जाने की योजनाएं बना रहे हैं। सत्तर सालों में क्या हो गया है ? कोई जादू सीख गये हैं वे ? जादू नहीं सीख गया है, उन्होंने एक राज़ सीख लिया है कि पुराने से चिपके रहने वाली कौम धीरे-धीरे मरती है, सड़ती है, गलती है।

भारत में हमारा चिंतन पुरातनवादी है, लेकिन हम एक बात भूल गए हैं कि यह जीवन का स्वभाव नहीं है। जीवन का विराट प्रवाह प्रतिपल परिवर्तनशील है, प्रगतिशील है। जीवन निरंतर नये प्रश्न खड़े करता है, नयी समस्याएं लाता है। लेकिन हम उन प्रश्नों और समस्याओं के उत्तर और समाधान गीता और कुरान में ढूंढ़ते हैं। इन ग्रंथों को कंठस्थ करके हम ज्ञानी तो हो जाते हैं, लेकिन हमारी एक भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।

ओशो कहते हैं कि हमें फिर से अज्ञानी होने की हिम्मत जुटानी होगी। और यह सूत्र साधना के जगत में तो सर्वाधिक जरूरी है: हम मन के भीतर सब संगृहीत ज्ञान से मुक्त हों। पूरी तरह शून्य हों। मन, उसे पूरी तरह विदा कर दें।
पुराना जाना-पहचाना होत है, इसलिए मन उससे चिपके रहने का आग्रह करता है। उसमें उसकी सुरक्षा है।

जीवन प्रतिपल न केवल नया है बल्कि अनजाना भी है; मन को इसका सामना करने में असुरक्षा प्रतीत होती है। इसलिए हज़ारों वर्षों से हमारे देश को नये का साक्षात्कार करने का साहस नहीं रहा। आक्रमणकारी आते रहे, इसे गुलाम बनाते रहे और हम अपने घरों के बंद कमरों में बैठे गीता और वेद पढ़ते रहे, यज्ञ-हवन करते रहे। और जो दुर्गति होनी भी वह हुई।
प्रस्तुत पुस्तक नये का आग्रहपूर्वक निमंत्रण है। अगर भारत को नया होना है तो इस पुस्तक को प्रत्येक भारतीय के पास पहुंचना अत्यावश्यक है। आओ हम इस निमंत्रण को स्वीकार करें और जीवन का आलिंगन करने का साहस जुटाएं।

जीवन हमारी प्रतिपल प्रतीक्षा कर रहा है। हम इससे पलायन न करें। आओ हम जीवन के साथ लयबद्ध हों, नाचें, गाएं और उत्सव मनाएं। और स्मरण रहे ओशो कहते हैं; अगर हम अस्तित्व के सत्य को खोजने चले हैं तो सत्य भी आतुर है कि कोई आवश्यकता नहीं है। जितना विराट अज्ञात हो उसमें उतरने से उतनी ही विराट आत्मा तुम्हारी हो जाएगी। जितनी बड़ी चुनौती स्वीकार करोगे उतना ही बड़ा तुम्हारा नवजन्म हो जाएगा। तैयारी हो जीवन के आनंद को अंगीकार करने की तो आओ, द्वार खुले हैं; तो ओ, स्वागत है, तो आओ, बुलावा है, निमंत्रण है।

15 पाठको ने कहा ...

  1. बेनामी says:

    Good post ........

  2. Usman says:

    अच्छा लिखते है आप ....... लिखते रहिये .

  3. Basant Sager says:

    आज से कुछ ही वर्षों के भीतर ओशो का संदेश विश्वभर में सुनाई देगा। वे भारत में जन्में सर्वाधिक मौलिक विचारक हैं,एक महान विद्वान, स्पष्ट चिंतन वाले और नये विचारों के जन्मदाता हैं

  4. Basant Sager says:

    ....... लिखते रहिये . धन्यवाद

  5. Ashok Bajaj says:

    सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं-हिन्दी सेवा करते रहें।

  6. Aseem Khan says:

    भारतीयता की अभिव्यक्ति राजनीति के द्वारा न होकर उसकी संस्कृति के द्वारा ही होगी।

  7. अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com
    आप अपना एकाउंट बना कर अपने ब्लॉग, फोटो, विडियो, ऑडियो, टिप्पड़ी लोगो के बीच शेयर कर सकते हैं !
    इसके साथ ही www.apnivani.com पहली हिंदी कम्युनिटी वेबसाइट है| जन्हा आपको प्रोफाइल बनाने की सारी सुविधाएँ मिलेंगी!

    धनयवाद ...
    आप की अपनी www.apnivani.com

  8. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

  9. बेनामी says:

    अच्छा लिखते है

  10. पोस्ट के लिए व्यक्त आपके विचारो के लिए आपका आभारी हूँ इसी प्रकार उत्साहवर्धन करते रहे .धन्यवाद !!

  11. आभार आप सभी पाठको का ....
    सभी सुधि पाठको से निवेदन है कृपया २ सप्ताह से ज्यादा पुरानी पोस्ट पर टिप्पणिया न करे
    और अगर करनी ही है तो उसकी एक copy नई पोस्ट पर भी कर दे
    ताकि टिप्पणीकर्ता को धन्यवाद दिया जा सके

    ओशो रजनीश

Leave a Reply

कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय संयमित भाषा का इस्तेमाल करे। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी। यदि आप इस लेख से सहमत है तो टिपण्णी देकर उत्साहवर्धन करे और यदि असहमत है तो अपनी असहमति का कारण अवश्य दे .... आभार

ओशो के वीडियो और औडियो प्रवचन सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे